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तुम चंड-मुंड को लेकर हमारे पास आई हो, इसलिए लोक में तुम

समझें, केन्द्र सरकार द्वारा जो योजनाएं लाई गई हैं, उनकी भारत को कितनी जरूरत

से हुई है। गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ मास के

सिंहिका गर्भ संभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।

सप्तशती के कथाक्रम के अनुसार सप्तम् अध्याय में उल्लेख है कि भगवती पार्वती

ॐ कयानश्चित्र आभुवदूतीसदा वृध: सखा। कयाशश्चिष्ठया वृता।।

पीछे श्रीं सम्पुट लगाकर जप करने से दरिद्र का नाश होता है। इसके साथ ही रविवार को व्रत किया जाए तो ज्यादा लाभ होता है। संतान संबंधी परेशानियां दूर करने के

व अर्थवत्ता कम नही है। शक्तिसाधकों के लिए इसके गोपनीय अर्थ को यहां व्यक्त किया जा

सभी मंत्र एक समान और शक्तिशाली हैं। यह आपकी निष्ठा और शक्ति पर अधिक निर्भर करता है। सभी मंत्र सिद्ध हो चुके हैं। यदि गायत्री बडा तउ राम छोटा क्यों। राम को तो श्री हनुमान जपते हैं। यदि राम बडा तो वासुदेव कृष्ण छोटा क्यों। इससे मीराँ सूर रसखान रहीम तर गये । बिठ्ठल बोलकर ज्ञानू और तुका तर गये। देवी मंत्र से राम रावण को जीत पाये। कुल मिलाकर जिस भांति हर रोग की दवा अलग। उसी प्रकार हर मनुष्य के पूर्व अराधन और इष्ट अलग। अत: कोई मंत्र छोटा बड़ा नहीं।

होती है। शत्रुनाश व व्याधिनाश हेतु नमक के शिर्वाचन, रोग नाश हेतु गाय के

गायत्री मंत्र जप जुड़ी खास बातें गायत्री मंत्र जप किसी गुरु के मार्गदर्शन

वर्णन यजुर्वेद में मिलता है। सायं काल में गायत्री की अवस्था वृद्धा मानी गयी है। इनका वाहन वृषभ है तथा शरीर का वर्ण शुक्ल है। ये अपने चारों हाथों

छठे, सातवें, आठवें तथा नौवें नवरात्रि को की जाती है। 

पर महामृत्युंजय नौ ग्रहों के बीज मन्त्र मन्त्र का जप स्त्रोत पाठ,

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